
महान चक्रवर्ती सम्राट राजा भरत की कहानी जिसमें मौत के बाद होने वाले पुनर्जन्म का जिक्र किया गया है |
मरने के बाद क्या होता है एक पौराणिक कथा के अनुसार एक रोज़ भरत का मन सांसारिक मोह माया से उठ गया और उन्होंने राज पाठ त्याग कर सन्यासी बनने का फैसला कर लिए वो जीवन मरण के इस चक्र से मुक्ति पाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने मोक्ष प्राप्ति के लिए मोह माया को त्याग कर एक ऋषि के आश्रम मे गए और वही मंत्र जाप और योग साधना करने लगे ऐसे ही कई वर्षों तक चलता रहा |

एक रोज़ की बात है भरत रोज की तरह नदी मे स्नान कर मंत्र का जाप कर रहे थे, तभी उन्होंने देखा एक गर्भवती हिरनी पानी पीने के लिए नदी के किनारे आयी अभी वो पानी पीना सुरू ही कर रही थी तभी अचानक से एक शेर की दहाड़ सुनायी पडी शेर की दहाड़ से हिरनी काफी डर गई, और उसने तुरंत वही अपने बच्चे को जन्म दे दिया और खुद को शेर के सामने अपनें को खाने के लिए रख दिया इस तरह से शेर के सामने अपना बलिदान कर अपने बच्चे को बचा लिया |

ये सब भरत वही खड़े होकर देख रहे थे ये मे उन्हें उस बिना माँ के बच्चे को देख कर दया आ गई जिसके बाद वह उस बच्चे को अपने साथ आश्रम ले आए और बहुत प्यार से उसको पालने लगे अब जैसे जैसे वह हिरण बड़ा हुआ भरत के साथ उनकी दोस्ती बड़ती गई और उस वजह से उससे भरत का मोह भी बढ़ता चला गया धीरे-धीरे भरत को उस हिरण से इतना मोह हो गया कि वह अपनी योग साधना से भी दूर होते चले गए |

जिससे वह अपने मोक्ष प्राप्ति की राह से भटकते गए समय बीतता गया और एक दिन ऐसा आया कि वह हिरण उस आश्रम मे नही है इससे वह बहुत ज्यादा व्याकुल हो गए और इधर उधर खोजने लगे हिरण को ना देख उनका मन तड़प उठा और वह रोते बिलखते बेतहाशा दौड़ते हुए उसे ढूँढने लगे इस बीच दौड़ने के दौरान उनका पैर फिसला और वो वही पर गिर पड़े जिससे वहां उनकी मृत्यु हो गई |
क्योंकि मृत्यु के समय भी भरत केवल उस हिरण के बारे मे सोच रहे थे इसीलिए उनका अगला जन्म हिरण का हो गया लेकिन वो अपने पहले वाले जीवन मे अध्यात्म रूप से काफी उन्नत थे जिससे उनको इस जीवन मे भी पुरानी सारी बाते याद थी उन्हें ऐहसास हुआ कि वो किस तरह अपनी साधना से दूर होकर मोह के जल में फस गए |

इसलिए अब वो पश्चाताप करने का फैसला लिए वापस से उसी ऋषि के आश्रम गए जहां उन्होंने हिरण के रूप मे अपनी पूरी जिंदगी बिताई और ऋषि को मन्त्रों का जाप करते हुए सुनते रहे और इस तरह से जब उनके हिरण वाले शरीर अंत हुआ तब उन्होंने फिर से एक ब्राह्मण परिवार में जन्म लिए,तो दोस्तों इस कहानी से ये तो पता चल गया कि इंसान अपने अंतिम पलो मे जो सोचता है उससे उसका पीछा मौत के बाद भी नहीं छुटता है |
आखिर ये मौत क्या है, क्या शरीर की श्वास रुक जाने से सब कुछ खत्म हो जाता है या मौत किसी नए जीवन का आगाज है ये कई सवाल है जिसका जवाब गरुड़ पुराण में विस्तार से दिया गया है |

अगर हम विज्ञान की बात करे तो उसके अनुसार जब एक इंसान का दिल धड़कना बंद हो जाए तो उसकी मृत्यु हो जाती है और इसके साथ ही उसका अस्तित्व भी इस दुनिया से समाप्त हो जाता है |
लेकिन मरने के बाद क्या होता हैं विज्ञान के पास इसका कोई जवाब नहीं है विज्ञान के हिसाब से मौत ही इंसान का अंत है लेकिन हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों का मौत को लेकर एक अलग नजरिया है क्युकी ग्रंथों के मुताबिक मौत कोई अंत नहीं ब्लकि ये एक नए सफर का आगाज है |

इनके अनुसार इंसान का शरीर एक पहनावा है और आत्मा इसका एक मुल तत्व है ऐसे मे जब इंसान की मृत्यु होती है तब एक आत्मा उस शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में चली जाती है मगर एक शरीर से दूसरे शरीर में जाने के दौरान आत्मा को एक लंबा सफर तय करना पड़ता है जो उसके कर्मों के अनुसार तय किया जाता है |
मरने के बाद क्या होता है इसे गरुड़ पुराण में अच्छे से बटाया गया है –
एक बार भगवान विष्णु से उनके वाहन गरुड़ ने पूछा भगवान मरने के बाद क्या होता है और इंसान को किस तरह के कर्म करने चाहिए इसके बाद भगवान ने उसे जो भी जवाब दिए इन्हीं बातों को आधार बनाकर गरुड़ पुराण की रचना की गई |
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