
चेतना क्या होती है ,ये चेतना कहा से आती है, और जब हम मरते है, तो वो कहा चली जाती है |
डॉ स्टुअर्ट हैमर आफ़ यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना टूफन में काॅन्सियसनेस स्टडी के डायरेक्टर है वो एक प्रैक्टिसिगं एनेसथीसीयोलाॅजीस्ट भी है एनेसथीसीया देने के बाद मरीजों को वक़्त गुजरने का पता ही नहीं चलता उन्हें मालूम ही नहीं होता कि वो 5 मिनट से बेहोश थे या फिर 5 घंटे से, एनेसथीसीया हमारे समझने की शक्ति को हमसे छीन लेता है इसके प्रभाव में ही हमारा दिमाग अच्छी तरह काम करता रहता है लेकिन तब हमे कुछ पता क्यूँ नहीं चलता ये अब भी एक रहस्य ही है, काम करने वाले कमरे में कई सालों तक इस हालत में देखने की वजह से हैमर आफ़ के मन मे ये जानने की इच्छा बेहद तेज होने लगी कि आखिर दिमाग में होने वाले हरकतों और चेतना के बीच किस तरह का संबंध है फिर 15 साल पहले उनकी मुलाकात महान ब्रिटिश भौतिक शास्त्री सर राजक पेनडरूस से हुयी उन दोनों ने मिलकर इस बारे मे एकदम नयी क्रांतिकारी थियरी तैयार की कि |
हमारा दिमाग किस तरह काम करता है |
एक ऐसी थियरी जो वक़्त के साथ अमर आत्मा के बारे मे एक तरह की वैज्ञानिक बहस में बदल गई और उसका आधार है हमारे दिमाग के ब्रैन सेल्स के अंदर मौजूद छोटे छोटे संरचना जिन्हें हम माइक्रो ट्यूब्लस कहते है अगर आप किसी सेल्स के अंदर झाक कर देखे तो आपको उसके अंदर संरचना घटक नजर आयेंगे जो कुछ ऐसे होते है जैसे हमारे शरीर में मौजूद हड्डियाँ वो माइक्रो ट्यूब्लस हर सेल में एक तरह की जंगल की तरह फैल जाते है और उसी से हर सेल की बनावट और उसका वास्तुकला तैयार होता है हमारे ख्याल से माइक्रो ट्यूब्लस किसी कंप्युटर की डिजाइन सेल्स की तरह होते है और वो मालकिलो लेबल पर इन्फॉर्मेशन प्रोसेस करते है
क्या मौत के बाद जीवन है, वैज्ञानिको के लिए ये सवाल और मुस्किल सवाल से जुड़ा हुआ है |
हैमर आफ़ और पेनडरूस का कहना है माइक्रो ट्यूब्लस की वजह से न्यूरॉन और हमारा दिमाग मिलकर एक क्वांटम कंप्युटर के रूप मे काम करते है लेकिन उनके काम करने का तरीका बुनियादी तौर पर आम कंप्युटर के काम करने के तरीके से अलग होता है हमारे दिमाग के 2 हैमसफियस है दिमाग की ज्यादातर तस्वीरों में अलग अलग न्यूरॉन का एक कलेक्शन देखने को मिलता है जब एक न्यूरॉन फायर करता है तो वह अगले न्यूरॉन को स्नैप या न्यूरॉन संधि पर एक सिग्नल भेजता है जिसे न्यूरॉन क्रमशः फायर करते रहते है मिशाल के तौर पर यहा एक न्यूरॉन फायर करता है तो उसके पड़ोसी भी एक के बाद एक पूरे दिमाग में सिग्नल फायर करते जाते है ये देखकर आप बखूबी समझ सकते है कि हमारा दिमाग किस तरह काम करता है किसी भी समान्य कम्प्युटर मे सिग्नल पहले से तैयार किए हुए रास्तो के जरिए एक जगह से दूसरे जगह पहुचते है लेकिन क्वांटम कंप्युटर के माइक्रो स्कोपीक घटक एक रहस्यमयी प्रक्रिया से एक दूसरे से जुड़े रहते है जिसे एनटैन्गलमेंट कहते है |
क्वांटम प्रोसेस हमारे दिमाग की चेतना में क्या भूमिका निभाते है |
क्वांटम प्रोसेस हमारे दिमाग की चेतना को बरकरार रखने में अहम भूमिका निभाते है अगर हमारे दिमाग के इस हिस्से मे न्यूरॉन की कुछ गतिविधि हो रही है तो उसका एहसास अगले हिस्से मे भी होगा और वो यहा भी प्रोसेस होगी अलग होने के बावजूद वो एक दूसरे से जुड़े होते है इसीलिए जब दिमाग के इस हिस्से मे कोई हरकत होती है तो वो फौरन इस हिस्से की हरक़त को भी प्रभावित करती है हैमर आफ़ और पेनडरूस का कहना है कि जब दिमाग के किसी एक सेल्स के माइक्रो ट्यूब्लस में बदलाव होता है तो उसका असर आपके दूसरे सेल्स के माइक्रो ट्यूब्लस पर भी पड़ता है |