Ajit Doval
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अजित डोभाल का जन्म कब और कहां हुआ था |

20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जहां मेजर G.N. Dhobhal रहते थे, इनके घर मे अजित डोभाल जी का जन्म होता है, अजित डोभाल जी के पिता जी आर्मी में मेजर थे, और इनकी माता जी UP के फार्मर CM H.N. Bahuguna की चचेरी बहन थी, अब क्युकी इनके पिता जी मेजर थे, आर्मी में इसीलिए आगे चल कर इनका ट्रांसफर राजस्थान मे हुआ |

Ajit Dhobhal
Ajit Dhobhal

अजित डोभाल कितने वर्ष की आयु में UPSC निकाले |

अजित डोभाल वही अजमेर राजस्थान के इंडियन मिलिट्री बोर्डिंग स्कुल से अपनी शिक्षा पूरी करते है और वर्ष 1967 में आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में मास्टर डिग्री ली, और उसके अगले ही साल 1968 में UPSC के पहले ही कोशिश में UPSC निकाल दिया, उस समय ये 22 साल के थे, IPS में चयन होने के बाद इनकी ट्रेनिंग हुयी और उसके बाद ये केरला के कोट्टायम जिला में ASP बन जाते है, और जब ये ASP बने केरला में उसके कुछ ही दिन बाद 28 दिसंबर 1971 को एक ऐसा घटना होता है, जिससे की डोभाल बहुत ही कम समय मे प्रसिद्ध हो जाते है |

Ajit Dhobhal Wife
Ajit Dhobhal Wife

अजित डोभाल की पहली पोस्टिंग |

वास्तव मे हुआ ये था कि केरला के कन्नौर जिला के थलासेरा में, इस दिन नूरजहां एक होटल था, वहां पर पहले मंजिल से एक आदमी ने जूता फेंक दिया था और इसको लेकर 2 धार्मिक संगठन के लोगों में आपस में लडाई हो जाती है, और फिर इस एरिया की हालात इतने ज्यादा खराब हो जाते है कि दंगे सुरू हो जाते है लूट पाट सुरू हो जाती है, दोनों समुह ने एक दूसरे के दुकान जलाने सामान लूटने शुरू कर दिए थे, बात इतनी बढ़ गई थी कि इस एरिया में पुलिस तक जाने से मना कर रही थी, अब ऐसे मे उस समय पर कॉंग्रेस की सरकार थी |

Ajit Dhobhal With Narendra Modi
Ajit Dhobhal With Narendra Modi

कॉंग्रेस के गृह मंत्री थे K. Karunakaran इन पर बहुत ज्यादा प्रेशर हो गया था, ये एक ऐसे आफिसर को ढूंढ रहे थे जो उस एरिया में जाने से ना डरे निडर हो और कैसे भी करके इन दंगे को रोक दे उस समय के सीनियर आफिसर थे, तो उन्होंने बताया कि एक नया आफिसर आया है वो बहुत ही तेज दिमाग का है और निडर है तो वो उस काम के लिए सही रहेगा, तो जो वो सीनियर थे वो अजित डोभाल का नाम आगे बढ़ाए, सारे सीनियर आफिसर की बात मानते हुए, K. Karunakaran जिन पर इन दंगे को रोकने की जिम्मेदारी थी वो अजित डोभाल को दे देते है |

Ajit Dhibhal
Ajit Dhibhal

अजित डोभाल का दंगों से निपटने का तरीका |

अजित डोभाल को निर्देश मिलते ही 2 जनवरी 1972 को इस एरिया में पहुच जाते है जहा पहले आफिसर जाने में डर रहे थे अजित डोभाल पूरे एरिया में घूमने लग जाते है, अजित डोभाल पूरे एरिया में घूम घूम के छोटी से छोटी डिटेल को इकट्ठा करना शुरू कर देते है, अजित डोभाल ने डायरेक्ट फोर्सेस का ईस्तेमाल के बजाय रणनीतिक खुफिया जानकारी जुटाने की तकनीक (Strategic Intelligence Gathering) का उपयोग किया इन्होंने सिर्फ उसी एरिया में ज्यादा पुलिस बल तैनात किया कि जहा से सारा का सारा ये दंगे हो रहे थे, और उनकी आपस की बातचीत चल रही थी |

Ajit Dhobhal with Rajiv Gandhi
Ajit Dhobhal with Rajiv Gandhi

ये करने के बाद इन्होंने लाठी डंडे का उपयोग किए बिना दोनों समुह के जो नेता थे, जो इस दंगों को आगे बड़ा रहे थे, उनको चिन्हित किए और खुद जाकर उन लीडर से बात किए और मोल-भाव को शुरुआत किए और इनसे बात करने के बाद असली कारण समझ आया कि लोग जो उनका समान लुटा गया, उसको लेकर गुस्सा है और इसके बाद अजित डोभाल ने क्या किया कि ये सारा समान ढूँढने के बाद दोनों समुह के जो समान थे वो एक दूसरे के वापस कराए, ये जो दंगे इतने दिनों से चल रहे थे एक ही वीक में बिना हिंसा के खत्म करा दिये |

Ajit Dhobhal With PM
Ajit Dhobhal With PM

अजित डोभाल का केरला से दिल्ली तक का सफर |

Formar Director Janaral of Polish Alexander Jacoh ने इन दंगों पर रिपोर्ट बनाई थी और जब ये रिपोर्ट वापस आयी तो अजित डोभाल की जो रणनीति थी उसकी काफी तारीफ हुयी और ये काफी प्रसिद्ध हुए उस समय पर दिल्ली तक इनके बारे मे बात शुरू हो गई थी, उस समय कॉंग्रेस की सरकार थी इंदिरा गाँधी जी प्रधानमंत्री थी तो कुछ ही महीनों में अजित डोभाल को केरला राज्य से निकाल कर दिल्ली बुला लिया जाता है |

मरने के बाद क्या होता है,आखिर इंसान की मृत्यु क्यूँ होती है |

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